इश्क़ इश्क़ है
कोई काम नहीं कि मुश्किल या आसान
जो निभ जाये तो आसान जो बुझ जाए तो मुश्किल
जो मिल जाए तो बेक़द्री
जो ना मिले तो बेदर्दी
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इश्क़ इश्क़ है
जब वक़्त निकल जाता है तब ख़याल आता है,
कोई रिश्तों की दुहाई देता रहा
आशिक़ आशिक़ी से नहीं मिज़ाज से होते हैं
चलो लेकर ऐसे ही क्षितिज के परे
देखे जो सपने साथ साथ वो जी ना सकें हम,
यानी लाक्डाउन वाली हंसी
(पूछा किसी ने) क्या तलाश है तुझे एक बार तो बता
भीगी भीगी रातें
कुछ हम कुछ तुम करो बातें
वो चला था कल घर की ओर