Wednesday, April 5, 2023

भीगी भीगी रातें

 भीगी भीगी रातें
कुछ हम कुछ तुम करो बातें

सुबह तक जागते रहें
कुछ तुम लो कुछ हम लें साँसे 
ख़ुशबू उस रात की नमी तेरे हाथ की
कुछ हवा नरम सी थी कुछ साँसे गरम सी थी 
दूर आसमाँ पर सितारों की बारिश 
उस पर खिला वो  चाँद
तेरे केसुओं की घटा से झांकती वो चाँदनी 
कुछ कहने को तरसती तेरे लबों की वो खामोशी 
कुछ शर्म तेरे गालों की, कुछ शरारत तेरे आँखों की
भीगी भीगी रातें 
चलो फिर से तुम करो कुछ कुछ हम करें बातें

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