दुनिया एक शतरंज की बिसात
कोई हाथी, कोई ऊँट, और कोई घोड़ा
सबसे ऊपर राजा, फिर रानी
सबसे नीचे प्यादा
प्यादा चलता एक ही चाल
लेकिन बनता वोहि है ढाल
बिछ जाता आढ़े हाथ
राजा की जान बचाने को
हाथी ऊँट है पहरेदार
लेकिन दिखती उनको एक ही धार
सीधा तीरछा चलते चलते
वो भी देते अपनी जान
उस एक राजा की जान बचाने को
घोड़ा है कमाल का
चलता है ढाई घर
उसको किसी ने पूरा भी ना दिया
बस ओढ़ा दी चादर ढाई आखर प्रेम की
लेकिन काम है उसका भी वोहि
देनी अपनी जान है
वो उस राजा की जान बचाने को
रानी, रानी, ओ मेरी रानी
देखो कितनी सयानी
सुंदर, सुशील और गुणी
चलती देखो कैसे बलखाके
सीधा, तीरछा, दायें-बायें
हंसती फूलों की झड़ी
रोती काँटों की लड़ी
लेकिन क़िस्मत से जुड़ी
उस राजा के ही भागों से
सबसे कठिन है यह प्यादा
कोमल भी है आग भी
समझना इसको थोड़ा कठिन है
पिघल जाती है बस एक आह से
उसको भी तो यही कहा है
जीवन है तो राजा का
तुझको भी तो मरना होगा
उस राजा की जान बचाने को
अब देखो इस राजा को
सब गए फिर भी है इतराता
पाले उसने इन सब को
अपने “मैं” को सहलाने को
एक एक कर दाव लगाए
बस अपनी जान बचाने को
सदियों से है वही खड़ा
कितने ही प्यादे कितनी ही रानी
न्योछावर इस राजा के सम्मोहन पर
जादूगर है यह रोज़ नए
हाथी ऊँट घोड़े और रानी
निकाले अपने बस्ते से
ऐसा क्या है इसकी आँखो में
जो पाले इसको अपने सीने में
खेल कमाल का समझे हर कोई
लेकिन फिर भी आता है हर कोई
अपनी जान देने
उस एक राजा की जान बचाने को
देखो अपने चारों ओर
और देखो फिर अपनी भी ओर
तुम हो कौन इस खेल में
ढूँढो खुद को अपने में
शतरंज का खेल तो
दुनिया जब की बनी तभी का बिछा
तब से खेल चलता रहा
प्यादे रानी बिछती रही
राजा देखो वही खड़ा
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