Wednesday, April 5, 2023

क्या तलाश है तुझे एक बार तो बता

  (पूछा किसी ने) क्या तलाश है तुझे एक बार तो बता 

भटकती हुई रूहों से जो करता है बातें 
(मुझे) इंसानो की बस्ती में ना मिला कोई 
तो रूहों से करता हूँ बातें 
जीते जी जो सुलझे ना सवाल  
शायद रूहों को मिलते हो उनके जवाब  
यही सोच कर हर रात जागता हूँ
चल देता हूँ शमशान की तरफ़ 
रोज़ करता हूँ बातें उन शब्दों की तलाश में

लेकिन उनकी चुप्पी से डर जाता हूँ 
मरने से ख़ौफ़ खा जाता हूँ 
क्यूँकि अगर जवाब वहाँ भी नहीं 
तो त्रिशंकु ना बन जाऊँ कहीं 
जवाब के लिए जान देकर 
खुद ही सवाल ना बन जाऊँ कहीं 
इन रात के गलियारों में कहीं मैं भी भटकने ना लगूँ 
कोई ज़िंदा नज़रें कहीं मुझ को ढूँढे 
और सवाल करे वोहि 
जिसके जवाब की तलाश में 
आज भटकता हूँ कहीं

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